ये इश्क़ क्या है...
किसी के सौंदर्य का घायल हो जाना
या किसी के ज़ज़्बात का हकदार होना?
ये इश्क़ क्या है...
जाने-अनजाने में किसी को खुशियों का ठेका दे देना
या खुद ठेकेदार हो जाना ?
ये इश्क़ क्या है...
पलकों पर मोम का पत्थर रखना
या उसको कभी न पिघलाने की साज़िश करना ?
ये इश्क़ क्या है...
मज़हबी या जातीय दीवारों को तोड़ने की कोशिश
या उन दीवारों के बीच कराहता एक खूबसूरत अहसास ?
ये इश्क़ क्या है...
किसी अनजान जन्नत की चाह में पल-पल का जहन्नुम होना
या उस जन्नत के आगोश में होने पर भी जहन्नुम का इंतज़ार होना ?
ये इश्क़ क्या है...
ज़िन्दगी को खूबसूरत बनाने का इल्म
या कुछ ऊंच-नीच हो जाने पर इस ज़िन्दगी को नेस्तनाबूत करने की चाहत ?
ये इश्क़ क्या है...
रिश्तों में प्लेटो की तरह आदर्शों को तलाशना
या मैकियावेली की तरह अतिव्यवहारिक हो जाना ?
ये इश्क़ क्या है...
अपने हक़ की हुकूमत
या प्रियतमा से खुशामद ?
ये इश्क़ क्या है...
किसी के इंतज़ार में पलक तक का न झपकना
या उसके न आने पर खुद को परेशान कर लेना ?
आखिर ये इश्क़ क्या है...
चाहत के दरिया में गोते लगाना
या उसमें डूब जाना ?
इश्क़...
इश्क़... एक खूबसूरत अहसास
दूसरों के खुशियों में खुद को खुश कर लेना का अहसास.
वक़्त के साथ बनते-बिगड़ते जज़्बातों को समझने का अहसास.
इश्क़...एक मौका
एक मौका.. दूसरों को समझाने का.
एक मौका.. खुद को समझाने का.
एक मौका... बीच का रास्ता निकालने का.
एक मौका.. उलझी ज़िन्दगी को सुलझाने का.
इश्क़..एक ज़िद
इश्क़ में बिखड़ने के बाद भी उसी को पा लेने की ज़िद.
इश्क़ में अलग हो जाने पर पिछले दरवाज़े से उनके खैरियत जानने की ज़िद.
इश्क़ में बिछड़न के आरोपी होने पर भी उन्हें माफ कर देने की ज़िद.
और इस माफी के बाद फिर से उन्हें याद करने की ज़िद।
{Written during BHU days (2nd year)}
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