अल्फ़ाज़-ए-हिम
-
इंसान जज्बाती है...और यही ज़ज़्बात उसे इंसान बनाये रखा है. जज्बात के हटते ही इंसान निरा मशीन के अलावा कुछ भी नही। जज्बात जो दिल की बात करे उस...
-
ये इश्क़ क्या है... किसी के सौंदर्य का घायल हो जाना या किसी के ज़ज़्बात का हकदार होना? ये इश्क़ क्या है... जाने-अनजाने में किसी को खुशियों का ...
-
चल चुका हूं.. बढ़ चुका हूँ... अपने घर से अपने घर की तरफ। पलायन ज़िन्दगी है मेरी। कभी इस ओर तो कभी उस ओर। अजीब है, दोनों अपना ही है। इस देश का ...